PMI / IIP आंकड़ा परिचय व प्रभाव ।
PMI : - अर्थात परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (Purchasing Manager Index/ PMI) दोस्तों परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स यानी PMI एक ऐसा सूचकांक है । जो की उत्पादन और सर्विस सेक्टर में होने वाली लगभग सभी कारोबारी गतिविधियों को दर्शाता है । इस सूचकांक को एक सर्वे के आधार पर बनाया जाता है । इसमें उन सभी लोगों से भी राय ली जाती है ।
जो आमतौर पर कंपनियों के लिए माल खरीदते हैं । ये लोग पिछले महीने के मुकाबले इस महीने में क्या -क्या बदलाव आया है । उन सभी बातों पर गौर करके उस पर अपना आकलन देते हैं । उत्पादन सेक्टर के लिए भी अलग से सर्वे किया जाता है । और सर्विस सेक्टर के लिए भी अलग सर्वे किया जाता है ।
और दोनों सर्वे होने के बाद में दोनों सेक्टर के सर्वे को मिलाकर एक इंडेक्स तैयार किया जाता है । इस सर्वे में आमतौर पर नए ऑर्डर, उत्पादन, कारोबार से जुड़ी उम्मीदें और रोजगार के बारे में पूछताछ की जाती है ।
PMI का आंकड़ा आमतौर पर 50 के आस-पास होता है । PMI 50 के ऊपर होने पर यह माना जाता है । कि अर्थव्यवस्था बढ़ रही है ।और यदि PMI अकड़ा 50 के नीचे चला जाता है । तो ऐसी स्थिति में यह माना जाता है । की अर्थव्यवस्था में गिरावट आ रही है । और यदि PMI अकड़ा 50 पर ही रहती है । तो इस का मतलब ये लगाया जाता है । कि अर्थव्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ है ।
औद्योगिक उत्पादन दर (Index of Industrial Production-IIP) - दोस्तों औद्योगिक उत्पादन दर यानी आई.आई.पी डाटा हम लोगों को यह बताता है । कि छोटे समय अर्थात शॉर्ट टर्म में देश का औद्योगिक क्षेत्र कैसा काम कर रहा है । दोस्तों आई.आई.पी के आंकड़े भी हर महीने मुद्रास्फीति के आंकड़ों के साथ ही जारी किए जाते हैं ।
इस आंकड़े को भी सांख्यिकी और प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन मंत्रालय ही जारी करता है । जैसा कि नाम से ही जाहिर हो जाता है कि । आई.आई.पी डाटा देश के उद्योग क्षेत्र के उत्पादन को बताता है । दोस्तों आई.आई.पी डाटा में उत्पादन को एक निश्चित पैमाने के आधार पर नापा या उसकी गणना की जाता है । अभी वर्तमान समय में भारत में 2004–05 के उत्पादन को पैमाना माना जाता है। दोस्तों इस पैमाने को हम बेस ईयर (Base Year) कहते हैं ।
करीब - करीब 15 तरीके के उद्योग धंधे उद्योग मंत्रालय को अपने उत्पादन का डाटा देते हैं । उद्योग मंत्रालय इन सभी आंकड़ों को इकट्ठा व जाँच करके आई .आई.पी इंडेक्स या कहे आकड़े बनाता है । और उसे जारी करता है। दोस्तों अगर आई.आई.पी डाटा बढ़ता है । तो यह माना जाता है ।
कि देश में उद्योग के लिए अच्छा वातावरण है । क्योंकि उत्पादन बढ़ा हुआ है । शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था दोनों इसे अच्छा मानते हैं । वही इसके विपरीत आई.आई.पी डाटा के घटने को अच्छा नहीं माना जाता है । इसे इस बात का संकेत माना जाता है । कि देश में उत्पादन के लिए अच्छा माहौल नहीं है । और इसे अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार दोनों के लिए खराब माना जाता है ।
कुल मिलाकर कहे तो आई.आई.पी डाटा में बढ़ोतरी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है । और इसमें डाटा में गिरावट एक बुरा संकेत माना जाता है । भारत में जैसे-जैसे औद्योगिकीकरण बढ़ रहा है । वैसे - वैसे आई.आई.पी डाटा का महत्व भी बढ़ते जा रहा है ।
दोस्तों आई .आई.पी डाटा का कम होना आर.बी.आई अर्थात रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पर ये दबाब बनाता है । कि वो ब्याज दरें कम करे और पहले की तुलना में सस्ती दरों पर लोन बैंको को दे ताकि भी कर्ज की दरों को कम कर के बाजार में नगदी डाले ताकि आई.आई.पी डाटा में सुधार होना प्रारम्भ हो और वो बढ़े ।
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