Buy sell hold prof 3
बाजार में क्या और कहा है हम ?
दोस्तों शेयर बाज़ार में आने बाले सभी निवेशकों की अपना एक अलग तरीका होता है । हम जैसे-जैसे स्टॉक मार्केट में समय गुजारते हैं । वैसे-वैसे हमारा ट्रेडिंग का तरीका बेहतर और बेहतर होते जाता है ।
दोस्तों शेयर बाज़ार में कोई निवेशक कितना रिस्क ले सकता है । इससे भी के ट्रेडिंग का तरीका प्रभावित होता है । हर शेयर बाजार का हर भागीदार को हम या तो ट्रेडर की कैटेगरी में रख सकते है । या तो फिर इंवेस्टर की कैटेगरी में ।
दोस्तों शेयर बाजार में ट्रेडर हम उस व्यक्ति को कहते है । जो की शेयर खरीदने व बेचने के सही मौके को पहचानता है । और उन सही मौकों पर वो सही सौदा कर लेता है । वो हर सौदा इस उम्मीद के साथ करता है । कि फायदा मिलते ही वो उस किये गये सौदे से बाहर निकल जाएगा ।
एक ट्रेडर का नज़रिया बहुत छोटे समय का ही होता है । शेयर बाजार के ट्रेडर हमेशा सजग रहते है । और वो शेयर बाजार के समय जिसे हम मार्केट आवर (Market Hour ) कहते हैं ।
हमेशा मौके की तलाश में रहता है । और अपने रिस्क और रिवार्ड (Reward) अर्थात जोखिम और जोखिम लेने की वजह से मिलने वाले फायदे की गणना करता रहता है । ट्रेडर तेजी और मंदी में को प्राथमिकता नहीं देता, बल्कि वो तो बस लाभकारी मौके की तलाशता में रहता है । वो चाहे तेजी में मिले या फिर मंदी में
दोस्तों समान्यतः ट्रेडर को हम 3 प्रकार में बांट सकते हैं । लेने में कोई दिक्कत नहीं होती । मान ले की कोई TCS के 100 शेयर 1512 रुपये की कीमत पर 19 अप्रैल को खरीदेगा और 27 अप्रैल को इसे 1514 रुपये पर बेच देता है ।
दुनिया में कई मशहूर ट्रेडर जिनमे से कुछ प्रमुख हैं । – जॉर्ज सोरॉस, एड सेयकोटा, पॉल ट्यूडॉर, वॉन के थार, स्टैनली ड्रकेन मिलर आदि दोस्तों एक इंवेस्टर वो होता है ।
जो शेयरो को इस उम्मीद के साथ खरीदता है । कि उसमें उसको काफी मुनाफा होगा। जिसके लीये वो अपने निवेश को लंबा समय देने को तैयार रहता है । जिससे उसका निवेश बढ़ सके एक निवेशक या इंवेस्टर के लिए होल्डिंग पीरियड कुछ सालों का भी हो सकता है । आमतौर पर निवेशक मुख्यतः दो तरह के होते हैं । …
A ग्रोथ इंवेस्टर (Growth Investor)– दोस्तों इस तरह के निवेशको की कोशिश ये होती है । कि ऐसी - ऐसी कंपनियां तलाशी जाएं जिनके बड़े होने या बढ़ने के मौके हों । उभरती हुई इंडस्ट्री की वजह से या मौजूदा आर्थिक हालात की वजह से ।
भारत में हिंदुस्तान यूनिलीवर, TCS, जिलेट इंडिया जैसी कंपनियों को 1990 में खरीदना इसका एक उदाहरण हो सकता था । इन कंपनियोंने तब से लेकर अब तक काफी ग्रोथ दिखाई है ।
क्योंकि इनकी पूरी इंडस्ट्री में काफी बड़े बदलाव आए हैं । इन कंपनियों ने इस ग्रोथ या बढ़ोतरी की वजह से अपने शेयर धारकों को बहुत सारी दौलत कमा कर दी है ।
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Buy sell hold prof 2
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शेयरों की कीमतों में बदलाव कैसे व क्यो होता है ? P2
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